उपेंद्र कुशवाहा के बाद रामविलास पासवान की पार्टी ने भी नरेंद्र मोदी को धमकी
2019 में लोकसभा आम चुनाव होने जा रहे हैं। जिसमें भारतीय जनता पार्टी को सबसे बड़ा था फिर से बताया जा रहा है। और विपक्ष को बहुत ही कमजोर बताया गया था परंतु अब ऐसा लग रहा है, 2019 आम चुनाव के लिए BJP राहा भी आसान नहीं है।
बिहार की राजनीति में फिर से एक बार हलचल होती हुई दिखाई दे रही है। उपेंद्र कुशवाहा के बाद आप लोक जनशक्ति पार्टी की तरफ से रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने यह कहा कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन मुद्दों के आधार पर दिया है। यह बात उन्होंने इसलिए कही क्योंकि एनजीटी के अध्यक्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल को बनाया गया है।
उन्होंने एससी एसटी एक्ट फैसला सुनाया था। वह भी उसी बेंच का हिस्सा थे जिसने SC ST एक्ट पर कहा था कि बिना जांच के कोई भी गिरफ्तारी नहीं होगी। इसीलिए लोजपा अपने इसका विरोध जताया है ऐसे इंसान को एनजीटी का अध्यक्ष नहीं बनाना चाहिए जिसने एससी एसटी एक्ट को कमजोर बनाया हो।
उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि अगर इन्हें पद से नहीं हटाया जाता है तो यह भी 9 अगस्त को होने वाले अनुसूचित जाति जनजाति आंदोलन मैं शामिल होंगे और यह आंदोलन 4 अप्रैल में हुए आंदोलन से भी बड़ा होगा। 4 अप्रैल को हुए आंदोलन में काफी जगह पर आगजनी और हिंसा हुई थी।
इनका कहना यह है कि 9 अप्रैल से पहले सरकार इस फैसले पर अध्यादेश लाकर के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को बदल दे। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो यह भी इस आंदोलन में शामिल होंगे।
बिहार की राजनीति में फिर से एक बार हलचल होती हुई दिखाई दे रही है। उपेंद्र कुशवाहा के बाद आप लोक जनशक्ति पार्टी की तरफ से रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने यह कहा कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन मुद्दों के आधार पर दिया है। यह बात उन्होंने इसलिए कही क्योंकि एनजीटी के अध्यक्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल को बनाया गया है।
उन्होंने एससी एसटी एक्ट फैसला सुनाया था। वह भी उसी बेंच का हिस्सा थे जिसने SC ST एक्ट पर कहा था कि बिना जांच के कोई भी गिरफ्तारी नहीं होगी। इसीलिए लोजपा अपने इसका विरोध जताया है ऐसे इंसान को एनजीटी का अध्यक्ष नहीं बनाना चाहिए जिसने एससी एसटी एक्ट को कमजोर बनाया हो।
उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि अगर इन्हें पद से नहीं हटाया जाता है तो यह भी 9 अगस्त को होने वाले अनुसूचित जाति जनजाति आंदोलन मैं शामिल होंगे और यह आंदोलन 4 अप्रैल में हुए आंदोलन से भी बड़ा होगा। 4 अप्रैल को हुए आंदोलन में काफी जगह पर आगजनी और हिंसा हुई थी।
इनका कहना यह है कि 9 अप्रैल से पहले सरकार इस फैसले पर अध्यादेश लाकर के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को बदल दे। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो यह भी इस आंदोलन में शामिल होंगे।
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